मेरे मन की भावन

विचित्र रिश्ते

Thursday, January 3, 2019
hindi quotes - Rishte jo humse alag hon...

हर परिवार में रिश्तों के समीकरण अलग हैं. खास कर पति-पत्नी के रिश्ते का. बड़ा मुश्किल है समझना किसी और के रिश्ते से अपने रिश्ते के फर्क को. और इससे भी ज़्यादा मुश्किल है ये ध्यान रखना कि दूसरे हमारे रिश्ते को नहीं समझते - कि उनकी दुनिया अलग है. उनकी एक दूसरे से अपेक्षाएं हमसे बिलकुल भिन्न हैं.
फिर भी हम रिश्तों की श्रेणियां बनाते हैं. आधी समस्याएं, मुझे लगता है, कि ऐसे श्रेणीकरण से ही होती हैं. 

अब इसमें आपका रिश्ता अगर बहुत ही अलग है, जैसे मान लीजिए आपका विवाह आपके/की मित्र से हुआ है, और वो अभी भी आपके मित्र हैं, तो आप पड़ जाएंगे बिल्कुल ही अलग थलग. लोगों को आप विचित्र लगेंगे, और आप को लोग. 

वैसे, विचित्रता ही संसार को रोचक बनाए रखती है :-)

विचित्रता से मित्रता कर लें? :-D 

~ मेरे मन की भावन
(गुरुवार, जनवरी ३, २०१९)

#मेरे_मन_की_भावन

सर्वगुण सम्पन्न - उपाधि या जुमला?

Tuesday, January 22, 2019
हिन्दी विचार - सर्वगुण सम्पन्न की मिथ्या उपाधि

अब इस बार पति महोदय ने कह दिया। सर्वगुण सम्पन्न। मेरा पारा चढ़ा तो पूरे २ मिनट ५० सेकंड के बाद उतरा। क्या है क्या ये “जुमला” सर्वगुण सम्पन्न? सर्व का अर्थ सभी।

जटिल मनुष्यों का लगातार प्रगतिरत चेतन नित नए गुणों का सृजन कर रहा है। सारे गुण तो विदित होना (पता होना) भी संभव नहीं हैं। 
और “सम्पन्नता” सर्व की मोहताज क्यों है?

ये जुमला महिलाओं के लिए ही अमूमन सुनने में आता है। या तो सर्व गुण सम्पन्न समझना, या सर्वगुण सम्पन्न की अपेक्षा रखना — दोनों ही संकीर्ण मानसिकता के परिचायक बनेंगे। दिमाग की खिड़कियों को थोड़ा खोलें, और ताजी हवा में सांस लें… सरलता से स्वीकारें कमियों को, अवगुणों को। ये अवगुण सुधारने का प्रयत्न कर रहे हैं, बहुत अच्छा। पर जहां आप ये सोचने लगे, कि सारे अवगुणों से आप मुक्ति पा लेंगे, तो ये बहुत बड़ी भूल है। इन अवगुणों का, और ढेरों गुणों में से कुछ गुणों का मिश्रण ही तो हमें सबसे अनोखा बनाता है।

सर्वगुण सम्पन्न जैसी उपाधियां दरअसल अव्यवहारिक (impractical), अतार्किक (illogical) और असंगत (insane) मापदंडों को जन्म देती है। 

चूंकि आप सर्वगुण सम्पन्न नहीं हैं, इसलिए आप किसी और से कमतर आँकी जाएंगी।
और चुंकि आप तथाकथित रूप से सर्वगुण सम्पन्न हैं, इसलिए आप के लिए त्रुटियां करने का कोई “scope” नहीं होगा। आप अपेक्षाअों के भार के नीचे अपनी सामान्य अभिव्यक्ति तक खो देंगी।

इन उपाधियों को धक्का मारकर श्रेष्ठता के भ्रामक सिंहासन से गिरा देना चाहिए। 
कुछ नई उपाधियाँ निर्मित हों अब… समय आ गया है। 

~ कुछ गुणों से संपन्न, और ढेरों अवगुणों से “ग्रसित” नहीं - कभी जूझती, और कभी उनको स्वीकार कर आगे बढ़ती,
एक सामान्य स्त्री

~ मेरे मन की भावन
(बुधवार, २२ जनवरी, २०१९)

प्यार का वायरस

Saturday, February 2, 2019
प्यार का वायरस! वैक्सीन मत बनाना इसका...

प्यार… आप इसे चाहें तो वायरस कह दें जो कभी भी किसी को भी हो सकता है, या इसे आप बॅक्टीरिया कहें… सच ये है कि इस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने की कोशिश में जीवन बड़ा नीरस हो सकता है। मान लेना ही श्रेयस्कर है, कि वो इंजेक्शन ना बना है, ना बनना चाहिए — जिसे हम प्यार का वैक्सीन कह सकें। पानी के बहाव की तरह होती हैं भावनाएं… बहती हैं, बह जाने दो। कुछ समय खोता है तो खो जाने दो। क्या खूब कहा है किसी ने… कि प्यार को हो जाने दो।

#प्यार_को_हो_जाने_दो

~ मेरे मन की भावन
(शनिवार, फरवरी २, २०१९)

साल नया, सवाल नया

Wednesday, January 2, 2019
कि आकर जो छाया है वो... नया साल है, नए समय का परिचायक

घिसे पुराने जवाब ना दो मुझे,
कि मेरे मन में जो आया है,
वो सवाल नया है.

बीती रीती सी बात ना करो मुझसे,
कि आ कर जो छाया है,
वो साल नया है.

~ मेरे मन की भावन
(बुधवार, जनवरी २, २०१९)

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पुरानी बातों से सीख चाहे जितनी भी ले लें,
हर नई परिस्थिति कुछ नया* हल मांगती है.
स्वीकार करें, और कठिनाइयों का संहार करें :-D

सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं -- शब्द

Monday, September 10, 2018
hindi quote image - सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं तो गीत कहलाते हैं शब्द.

सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं
तो गीत कहलाते हैं शब्द.
पर शब्द सुर-ताल पर निर्भर नहीं होते…
कभी काफिए की सरल तुकबंदी से मन को बहलाते हैं,
तो कभी शायराना अंदाज़ से दिल को छू जाते हैं,
कविता की माला में पिरोए हुए मोती से,
कभी प्रेरणा देते हैं, कभी झकझोर देते हैं,
कभी आंसू भरी रात, कभी आशा भरी भोर देते हैं…
शब्द…

~ मेरे मन की भावन
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(सोमवार, १० सितंबर, २०१८)

परिवर्तन - नियम भर नहीं, आवश्यकता भी

Thursday, April 30, 2015
परिवर्तन - हिंदी कोट्‌स - Hindi quote image about change

परिवर्तन कभी कभी अच्छा नहीं लगता. विशेषकर तब जब हमें उस परिवर्तन से असुविधा होती हो. पर परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है. किंतु, अनचाहा निरर्थक नियम भर नहीं है - एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. परिवर्तन के अभाव में आई जड़ता एक जीवंत हृदय की सबसे बड़ी शत्रु है.

~मेरे मन की भावन 
३० अप्रैल, २०१५