विचित्र रिश्ते

विचित्र रिश्ते

हर परिवार में रिश्तों के समीकरण अलग हैं. खास कर पति-पत्नी के रिश्ते का. बड़ा मुश्किल है समझना किसी और के रिश्ते से अपने रिश्ते के फर्क को. और इससे भी ज़्यादा मुश्किल है ये ध्यान रखना कि दूसरे हमारे रिश्ते को नहीं समझते - कि उनकी दुनिया अलग है. उनकी एक दूसरे से अपेक्षाएं हमसे बिलकुल भिन्न हैं. 
फिर भी हम रिश्तों की श्रेणियां बनाते हैं. आधी समस्याएं, मुझे लगता है, कि ऐसे श्रेणीकरण से ही होती हैं. 

अब इसमें आपका रिश्ता अगर बहुत ही अलग है, जैसे मान लीजिए आपका विवाह आपके/की मित्र से हुआ है, और वो अभी भी आपके मित्र हैं, तो आप पड़ जाएंगे बिल्कुल ही अलग थलग. लोगों को आप विचित्र लगेंगे, और आप को लोग. 

वैसे, विचित्रता ही संसार को रोचक बनाए रखती है :-)

विचित्रता से मित्रता कर लें? :-D 

~ मेरे मन की भावन
(गुरुवार, जनवरी ३, २०१९)

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कहना ही सरल है, पर हमसे भिन्न सोच, अलग तरह के रिश्ते वाले लोगों से मित्रता करना बहुत मुश्किल। फिर एक सच यह भी है, कि ताली दोनों हाथों से बजती है। 
आखिर उन्हें भी तो हम विचित्र लगते हैं, क्या वो मित्रता करना चाहेंगे? संभावना कम है, पर कहीं कहीं ऐसा हो भी जाता है। :-D

#मेरे_मन_की_भावन

hindi quotes - Rishte jo humse alag hon...