सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं -- शब्द
सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं -- शब्द
सुर को सजाते हैं, ताल में बंध जाते हैं
तो गीत कहलाते हैं शब्द.
पर शब्द सुर-ताल पर निर्भर नहीं होते…
कभी काफिए की सरल तुकबंदी से मन को बहलाते हैं,
तो कभी शायराना अंदाज़ से दिल को छू जाते हैं,
कविता की माला में पिरोए हुए मोती से,
कभी प्रेरणा देते हैं, कभी झकझोर देते हैं,
कभी आंसू भरी रात, कभी आशा भरी भोर देते हैं…
शब्द…
~ मेरे मन की भावन
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(सोमवार, १० सितंबर, २०१८)