प्यारी बहना दुल्हन बनी है
प्यारी बहना दुल्हन बनी है
प्यारी बहना दुल्हन बनी है...
शादी की धूम-धाम, गीत-संगीत - ढेर सारी रौनक... एक बरस होने वाला है मेरी छोटी मौसेरी बहन रूचि की शादी को.
रूचि की पहली सालगिरह आने को है, तो विविध-संकलन का ये संस्करण
रूचि, परिमल और उनकी शादी की यादों को समर्पित...
यूँ तो बचपन से कम बोलती थी, और उसके मंगेतर उस से भी कम,
पर सगाई के बाद जो समय फ़ोन पर बिताया दोनों ने, उस से हम सब ज़रा हैरान थे. :)
समय पंख लगाकर उड़ा करता था, अब तो लगता है कि रॉकेट कि गति पा ली है.
उस समय उसके लिए ये कविता लिखी थी.
उस समय उसके लिए ये कविता लिखी थी.
रूचि की पहली सालगिरह आने को है, तो विविध-संकलन का ये संस्करण
रूचि, परिमल और उनकी शादी की यादों को समर्पित...
प्यारी बहना दुल्हन बनी है,
और उसके साज श्रृंगार का क्या कहना...
और उसके साज श्रृंगार का क्या कहना...
उसकी आँखों से खुशियाँ झलकें,
मुस्कराहट सबसे प्यारा गहना,
मुस्कराहट सबसे प्यारा गहना,
अम्बर के सितारे उसकी चुनरी में जैसे पिरोये हों...
बिंदिया के नग जैसे उषा की लालिमा में डुबोये हों,
बिंदिया के नग जैसे उषा की लालिमा में डुबोये हों,
चूड़ियों की खनक में भोर के पंछियों की चहक है,
हाथों की लाली में मेहंदी की सौंधी महक है,
हाथों की लाली में मेहंदी की सौंधी महक है,
दुल्हन को देख, यहाँ इक दिल में हो रही उथल पुथल,
कोई है जिसके दिल को चाहिए थोड़ा सा संबल,
कोई है जिसके दिल को चाहिए थोड़ा सा संबल,
उनसे कहा हमने सब्र का मीठा होता है फल,
मगर मन मानता ही नहीं है उनका चंचल,
मगर मन मानता ही नहीं है उनका चंचल,
दुल्हन का रूप दमके सुनहरा महके जैसे संदल,
दिल थाम कर बस 'रूचि' को निहारते ही जाएं 'परिमल'.
दिल थाम कर बस 'रूचि' को निहारते ही जाएं 'परिमल'.
~ लेखनी ~
अनूषा की