नया नया सा
नया नया सा
नया नया सा
कभी कभी यूँ भी होता है, कि सब कुछ नया नया सा लगता है, ऐसी ही अनुभूति को शब्दों में पिरोती कविता...
नया नगर नया काम
नयी सुबह नयी शाम
नए नए से पलों में
नए दृश्य अभिराम
नई भाषा नई बोली
नई ध्वनिया अविराम
नई सी हर अनुभूति है
नई आशाएं अनाम
नवल सी नभ की धवलता
नई सी मन की चपलता
नए नए से सारे ढंग
नया सा लगे प्रिय का संग…
~ लेखनी ~
अनूषा की