मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
शिक्षित, सक्षम नारी का आत्मविश्वास
शिक्षित, सक्षम नारी का आत्मविश्वास
अब अबला नहीं, न मैं दयापात्र,
मैं नहीं पुरुष की छाया मात्र,
अब नहीं किसी पर आश्रित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
निर्बल नहीं अब मेरी चंचलता,
मेरी रक्षा नहीं किसी पर भार,
अभिभावकों का मेरे आभार,
दी ज्ञान से मुझे शक्ति अपार,
सूझबूझ से समझ से अपनी,
कवच पाए हैं मैंने अकूपार,
मैं स्वं ही अब सुरक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
जब तर्क बने मेरे हथियार,
जब हुई विद्यारथ पर सवार
तो देख मेरा नया अवतार,
लगा ताने कसने संसार,
स्वतंत्र हूँ मैं स्वच्छंद नहीं,
मेरे चरित्र-चक्षु बंद नहीं,
संस्कार सहित संरक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
पुत्री, बहन, पत्नी बनी,
मैं मातृत्व की भी धनी,
पर है परिचय अतिरिक्त भी,
मैं महत्वाकांक्षा से उद्दीप्त भी,
लालसा नहीं मेरी ललक है,
मेरे प्रयत्नों की अलख है,
सम्पूर्णता की कांक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
कार्यक्षेत्र मेरा बना जटिल,
मेरी चतुराई को कहा कुटिल
लगा अहं सा मेरा स्वाभिमान,
क्या मौलिक हैं मेरे प्रतिमान?
पर मनवाया मेरे परिश्रम ने,
मेरे तल्लीन बने मन ने,
और आखिरकार समीक्षित हूँ
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
मेरे उदय में ही है उत्थान,
कुप्रथाओं के सार्थक समाधान,
समाज का जो रोके पतन,
पौराणिक ना होंगे वो जतन,
वो विचार होंगे मेरे नवल,
देखे-भाले तो हारे सकल,
केवल मैं ही अनुपलेक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.
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~ लेखनी ~
अनूषा की