एक लड़की अनोखी सी
एक लड़की अनोखी सी
मेरी बहुत अच्छी मित्र हैं ऐसा नहीं कह सकती हूँ - एक दुसरे के संग बिताने को अधिक समय नहीं मिला. पर काफ़ी प्रिय हैं मुझे. बहुत गुणी हैं, और उनके गुणों से मैं प्रभावित भी होती हूँ, और प्रेरित भी. कुछ वर्ष पहले उनके लिए ये कविता लिखी थी.
अनोखी सी एक लड़की से
हुई कुछ वक़्त पहले मुलाक़ात,
जिसकी खूबियों के बखान में
ढल सकती है रात,
यूँ जानती तो हूँ उसे, कुछ वक़्त
बिताया तो है उसके साथ,
पर फिर भी, कभी-कभी लगती है
अनजानी सी उसकी हर बात,
जितना उसे जानती जाती हूँ,
उतना ही अचरज होता है,
लगता है उसके पास
खूबियों का कोई सोता है,
पहली बार मिलके, कोई भी सोचेगा,
वाकई प्यारी मुस्कान है,
कुछ देर बात की तो,
मीठी आवाज़ भी हुज़ूर की शान है,
लेकिन अभिनय का और लेखन का
जब मैंने देखा कमाल,
तो लाजवाब हो गई हूँ,
मन में आ रहा है ये ख़याल,
ये लड़की अनोखी सी,
क्या कर रही है यहाँ,
संगणक में सर खपाती,
भला क्यूँ है परेशां?
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अब की बार जब फेसबुक पर मिलीं, तो फिर एक नई प्रतिभा सामने आई उनकी. ऐसी सुंदर तसवीरें लीं हुई थीं उन्होंने कैमरे से, कि मैं देखती ही रह गई. फिर एक और कविता लिखनी पढ़ी उनके लिए. ये कविता अंग्रेजी में है. अगर आप पढ़ना चाहें, तो यहाँ जाएं:
ये दोनों कविताएँ जितनी उन्हें समर्पित हैं, उतनी ही उनके ब्लॉग को: Violet-Flowers जिसके ज़रिये मैंने उन्हें ज़्यादा अच्छी तरह जाना, समझा है.
~ लेखनी ~
अनूषा की