कोरोना युद्ध के नन्हे सिपाही | बाल कविता
कोरोना युद्ध के नन्हे सिपाही | बाल कविता
विशेष -- केवल कविता पढ़कर वंचित ना रह जाइएगा, वीडियो ज़रूर देखिएगा।
गो करोना कहने से ये यूंही नहीं भागेगा,
हारेगा तभी जब हर भारतीय जागेगा,
जाग कर भी घर से बाहर नहीं जाना है,
भीतर ही रहकर हमको कर्तव्य निभाना है,
सुनो बच्चों मम्मा पापा को तुम करना ना तंग,
इस लड़ाई के सिपाही हम भी हैं बड़ों के संग,
बोर हो रहे हैं कहकर परेशानी मत बढ़ाना तुम,
बड़े हैं पहले से ही थोड़े चिंतित थोड़े गुमसुम,
अकेले भी मस्त रहने के अब रास्ते निकालेंगे,
हम नए उपाय लगा कर समय को बिता लेंगे,
कुछ नए से इंडोर खेल हम बूझ कर बना लेंगे,
कुछ कहानियों से हम अपने मन को मना लेंगे,
टी.वी. देखो तो थोड़ा ही, आँखों का रखना तुम ध्यान,
थोड़ी कसरत, थोड़ी पढ़ाई, थोड़ा खाने का सामान,
बड़ों की मदद भी करना है, रखना तुम ये याद,
ये युद्ध है, हमें देना है पूरा-पूरा साथ।।
~ लेखनी ~
अनूषा की