छवि देख तिहारी, दुल्हन प्यारी...
छवि देख तिहारी, दुल्हन प्यारी...
छवि देख तिहारी, दुल्हन प्यारी...
अपने भैया की शादी में दुल्हन की छवि का बखान करते लिखी थी ये कविता ...
छवि देख तिहारी... दुल्हन प्यारी...
छवि देख तिहारी, दुल्हन प्यारी,
छवि देख तिहारी, दुल्हन प्यारी,
खुली म्हारे शब्दों की ये पिटारी...
पायल छम-छम, बिंदिया चम चम,
जियरा मा धड़कन जाए थम थम,
अखियाँ झुकी झुकी बोले कम कम,
लाज में ऐसी जाए रम रम,
एक जीव...
एक जीव बड़ो गुमसुम है,
दूल्हा के देखो होस ही गुम है,
सर पे सेहरा, दमके चेहरा,
जसे विजय पताका दी हो फहरा,
चाँद सा दूल्हा गयो है जम जम,
दुल्हन कि मुस्की में है दम दम,
प्यारा मिला थारे हमजोली,
दुआएं देती ननद ये बोली,
हर रात दिवाली, दिन हो होली,
जीवन रंगों की रंगोली,
असी है बंधी ये इक डोर,
दुआएं देती ननद ये बोली,
हर रात दिवाली, दिन हो होली,
जीवन रंगों की रंगोली,
असी है बंधी ये इक डोर,
सबके मन मा नाचे मोर,
खुशी का नहीं कोई ओर छोर,
लो सभी हुए हैं भाव-विभोर,
प्रभुजी ने प्यारी जोड़ी है मिलाई,
दूल्हा-दुल्हन के बधाई हो बधाई...
~ लेखनी ~
अनूषा की