सदा सदा के लिए

सदा सदा के लिए

हमने कुछ समय पहले अपनी सोसाइटी में "गोष्ठी" नाम के एक कार्यक्रम का आयोजन किया। हिंदी विवाचन - देख कर, बिना देखे, स्वयं की रचनाएं, या किसी और की... बस हिंदी में हों। तब एक महोदया, जो कि अंग्रेज़ी की एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं, उन्होंने हमसे संपर्क किया। उनका नाम है, नीना जी। आपने अपने समय में जेनेटिक्स में एम. टेक. किया है। किताबों की बहुत ही शौकीन, और अंग्रेज़ी में कई पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख आदि छप चुके हैं।

ये हमारे घर पधारीं, और हमने ढेरों बातें की। किताबों में रुचि लेने वालों से मिलकर आनंद ही आनंद आता है जी।
इनकी इच्छानुसार इनकी अंग्रेज़ी रचना को हमने हिन्दी में अनुवादित किया और गोष्ठी में सम्मिलित कर सुनने का सौभाग्य प्राप्त किया। उनका कहना था, विवाचन कोई और करे, और हमने कहा, ये कौन बड़ी बात है, कोई भी बहुत प्रसन्नता से करेगा। अब ये रचना इतनी रुचिकर और अर्थपूर्ण थी, कि हमने उनसे अनुमति ली, इस अनुवाद को विविध संकलन में शामिल करने की, ताकि आप पाठक गण भी इसका आनंद उठा सकें... 

(अंत में हमने अंग्रेज़ी की उनकी मूल कृति के हस्तलिखित पन्नों को भी जोड़ लिया है।)  

हिंदी लेख - अनुवाद | Happily Ever After

“और फिर राजकुमार अपनी सुंदर प्रियतमा को अपने साथ सफेद घोड़े पर बैठा कर ले गया, और वो सदा सदा के लिए एक होकर प्रसन्नता से जीने लगे।”

ज़्यादातर कहानियों का जब ऐसा ही अंत देखती थी मैं,

तो मन ही मन हमेशा ये सोचा करती थी मैं,

कि अगर मेरे पास ढेरों रुपए होते, तो जासूस लगवाती मैं,

पता करने कि क्या सच में सदा सदा के लिए रहता है वही प्रेम?

कि असल जीवन तो ऐसा नहीं होता… 

कि वो शुरु शुरु का खुमार सा,

वो नशा वो सुरूर वो सौंधा बुखार सा,

लगातार चढ़ा तो नहीं रह सकता…

हाँ, बहुत रोमांचक होती है, वो छेड़खानी, वो पाने की कोशिश करना,

पर कुछ समय पश्चात हमारा जीवन, जीने की व्यवस्था,

इस रोमांच से विश्रान्ति चाहता है…

ये दूसरा पड़ाव है, विवाह के उपरांत का…

वही प्रियतम जो सुबह, दोपहर, शाम, 

आपके साथ रहना चाहते थे,

अब क्रिकेट देखने को प्राथमिकता देते हैं,

अब जन्मदिन, सालगिरह भूल जाते हैं, 

और आप जब अपने अंतर्मन की वो भावनाएं, 

जो आपने किसी से साझा ना की हो, 

उनसे कहना चाहते हैं,

तब ऊंघने लगते हैं, सो जाते हैं,

पर वास्तव में ये ठहराव सा विवाह का सबसे अच्छा पहलू है,

अब आपको एक दूसरे की स्वीकृति पाने के लिए विशेष प्रयत्न करने की आवश्यकता ही नहीं,

और फिर तीसरा पढ़ाव आता है, जब आप अपने विवाह को न केवल स्वीकार कर लेते हैं,

वरन ये भी समझने लगते हैं, कि उतार-चढ़ाव के बावजूद क्यों ये रिश्ता अनमोल है…

आपके रिश्ते का रक्षक होता है, तराज़ू का वो भारी पलड़ा,

जिसमें आप अच्छी बातों को रखते हैं…

एक घंटे के श्रंगार के बाद चाहे न कह पाते हों, कि मैं बहुत सुंदर लग रही हूं 

पर वो मेरी थकान समझकर मेरे काम में मदद ज़रूर कर देते हैं,

वो मुझे फूल कलियों से भरे अप्रत्याशित उपहार भले न दे पाते हों,

पर मुझे और मेरे माता पिता को यथोचित सम्मान अवश्य देते हैं,

वो बहुत कुछ ऐसा करते हैं, जो कहता है, कि उन्हें मेरी परवाह है,

वो मुझे लगातार एहसास दिलाते हैं, कि मैं उनके लिए अनमोल हूं,

कि वो मुझे बहुत बहुत चाहते हैं…

ये ऐसी सुरक्षा की भावना है, जिसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहूंगी मैं…

प्यार ही तो है, जिसके कारण, सुबह के समय प्यार से मेरा माथा तो चूमते हैं, 

पर ये नहीं बताते कि मैं एक थके हुए दिन, किसी बुरे सपने सी डरावनी लगती हूं,

प्यार ही तो है, जिसके कारण, मेरे सारे सपने पूरे करने की ठान लेते हैं…

तो कुल मिला कर, तीस साल के जीवन का निष्कर्ष बहुत प्यारा, बहुत रुमानी है,

कोई शादीशुदा जीवन परम सुख तो नहीं दे सकता,

पर अधिकतम समय अच्छा-सा हो सकता है…

हम बहस के बावजूद, रुपए-पैसे की चिंताओं के बावजूद, जीवन के मध्य आए संकटों के बावजूद भी

टिके रह सके, क्योंकि हमारा वैवाहिक बंधन 

रोज़मर्रा के उन्माद के सामने मज़बूती से खड़ा रहा… 

हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, 

और ये है मेरी अपनी सोच से

सदा सदा के लिए प्रसन्न रहने वाला… सुखांत।

असल ज़िंदगी...
वैवाहिक जीवन का सत्य
तराजू के भारी पलड़े में अच्छी बातें...
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