जयोम के मुख से - एक प्यारी सी शुरुअात
जयोम के मुख से - एक प्यारी सी शुरुअात
एक प्यारी सी शुरुअात
ये है मेरा नटखट सा जयोम.
बातूनी तो क्या कहूं, अभी तो बोलना सीख ही रहा है. पर इसकी ये सीखने की प्रक्रिया भी बड़ी प्यारी है. सवा साल के थे जनाब, जब पापा-मम्मा के अलावा कुछ शब्दों को अपनी प्यारी आवाज़ में बोलने लगे थे. और अब तो बस पूछो ही मत. कभी अटक अटक कर, कभी धाराप्रवाह वाक्य बोलते हैं जयोम जी. कभी गुस्सा दिखाते हैं, कभी प्यार, कभी रूठ जाते हैं, कभी होती है प्यारी सी मनुहार. और कई बार बस नकल, कभी बिना अकल, कभी डेढ़ अकल के साथ.
फेसबुक पर अपने मित्रों व परिजनों के संग लंबे अरसे से ये छोटे-छोटे किस्से साझा करती आई हूं. पर फेसबुक पर तो और भी बहुत कुछ साझा करती हूं. सोचा फेसबुक टॅग मदद करेंगे “साॅर्टिंग” में. पर बात कुछ बनी नहीं. तो ये रही एक शुरुआत.
अब तक के सारी जयोम वाणी इस पोस्ट में संग्रहित कर रही हूं. और अब से फेसबुक के अलावा यहां (यानि विविध-संकलन पर) भी नियमित रूप से बताऊंगी, जयोम की बतियां. ताकि फेसबुक पर लंबी सी “न्यूज़ फीड” पर देखना रह जाए, तो मेरे फेसबुक मित्र यहां पढ़ लें, और मेरे ब्लॉगर साथी गण भी जानें, कि जयोम का एक नाम धूम सिंह बवंडर क्यों है :)
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मई २५, २०१३
जयोम पहला शब्द (मम्मा पापा के अलावा) बोला, आम... :)
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जून १०, २०१३
आजकल हमारा जयोम शाम को घूमने जाने से पहले हमारे पास आता है, कहता है, पेसे? (पैसे) हम उसको करारे नोट निकाल कर देते हैं, कहता है, बाय
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जून १३, २०१३
जब जयोम घूम कर वापस आता है, तो खूब सारी घंटी बजाता है. (वो तो सारे घरों की बजाना चाहता है, शुक्र है, अभी जो चाहे, बिल्कुल वैसा कर नहीं पाता है ) फिर हम पूछते हैं, "कौन आया है?" तो वो दोनों हाथ अपने सीने पर रखकर, मुस्कुराकर, थोड़ी आखें बड़ी कर, बोलता है, "मे". फिर हमें पूछना होता है, नीचे कौन कौन मिला था, नहीं भी पूछो तो भी बताता है, "भौ भौ! मियांय!" (सब हावभाव, अभिनव सहित )
अगर इस घटनाक्रम में कुछ भी छूट जाए, तो हमारे जयोम को बिल्कुल पसंद नहीं आता
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जून १८, २०१३
जयोम दिन में कभी भी घूमता फिरता मेरे पास आता है, कहता है, "आताउ" == आजाओ - जिसका मतलब है, मुझे आपके पास आना है. (इसलिए क्यूंकि हम उसे गोद में लेते हुए कहते हैं - आजाओ :D) मैं कहती हूँ, "मैं काम कर रही हूँ". तो वो काााम कहता हुआ बाहर चला जाता है. मेरा समझदार को-ओपरेटिव बेटा. वैसे सारी समझदारी और को-ओपरेशन उसके मूड पर निर्भर है.
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जून १९, २०१३
जयोम का नया नाम
जयोम की शरारतों को मद्देनज़र रखते हुए उसका नाम रखा है, धूम सिंह बवंडर
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जून २२, २०१३
जयोम के मुख से... कहीं पसंदीदा ओढ़ना अटका हो, या उसके रास्ते में किसी ने बाधक वस्तु को पटका हो... जयोम पुकार लगाता है - "फजया" = "फंस गया" नानी जब से सिखा कर गई है, वो इसके कई सारे 'वेरिएशन' बोलता है. अगर उसे पकड़ लें, और न छोड़ें, या कहीं से उठ नहीं पाए, तो ज़ोर से कहता है - "फजयाबु" = "फंस गया हूँ”
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जून २६, २०१३
हमारे पास एक गेम है. दो चम्मच जैसे बैट और एक बॉल. बॉल को एक बैट से पकड़कर दूसरे बैट में डालते हैं - जयोम को बड़ा पसंद है. और अगर बॉल गिर जाए तो हम कहते हैं, "आउट हो गया, आउट हो गया" और जयोम को खूब हंसी आती है. सोचती हूँ ये रिकॉर्ड कर लूं. जब जयोम क्रिकेट में आउट होने पर उदास होगा तो उसे दिखाकर "स्पोर्ट्््समैन स्पिरिट” सिखाएंगे
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जुलाई ५, २०१३
जयोम ने पापा को घोड़ा बनाकर की घुड़सवारी...
देखने वालों ज़रा होशियार, यहाँ के हम हैं राजकुमार
घोड़ा हमरा बड़ा शानदार, हम हैं शरारत के सरदार...
धूम तो नामों में हमरे शुमार, यहाँ के हम हैं राजकुमार...
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जुलाई १९, २०१३
जयोम की शब्दावली के नए शब्द -
छिपी (छिपकली ) - कहीं भी दिख जाए, पहले हमें बताता है, थोड़ा सा घबराता है, फिर उसको बोलता है - भग
शुप (सूप) - बहुत पसंद है जी टमाटर का सूप
टिम्मा/टम्मा - टमाटर - खेलने के लिए भी बहुत पसंद है, और खाने के लिए भी
कोई रोए तो जयोम कहता है - चोप (चुप)
किसी भी चीज़ के लिए मना करें तो मनाने के लिए एक तरफ गरदन झुका के, मुस्कुरा के - पिज़ - प्लीज़
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अगस्त ८, २०१३
कल सुबह जयोम का टी-शर्ट थोड़ा गंदा हो गया था, तो सुमन दीदी ने चेंज कर के अच्छी सी चेक्स की पूरी बाहों वाली शर्ट पहना दी. (अब तक ये शर्ट शाम को घूमने जाते समय ही पहनाई थी) जयोम मेरे पास आकर बोला, पैसे? उसने सोचा शर्ट पहनी है, तो घूमने जाना ही है हम खूब हंसे, तो मुस्कुरा कर बोला, "भाईसाब" (साइकल रिक्शा वाले को ऐसे बुलाता है, तो हमें बता रहा था कि जाकर ये करूंगा)
ऐसी होती है लगन, जो सुबह देखे ना शाम
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अगस्त १३, २०१३
जयोम की शब्दावली... ना ना वाक्यावली के नए वाक्य -
आईबलू =आई लव यू
गुद मो = गुड मॉर्निंग - पहले गुड मॉर्निंग बोलते थे तो जवाब में सिर्फ सिर एक तरफ झुका कर मुस्कुरा देता था अब शॉर्टकट में बोलता भी है.
थो जाओ = सो जाओ - ये जयोम खुद से कहता है - दिन में कई बार, लेकिन नींद भगाने में अक्सर ही कामयाब हो जाता है
सुलाओ - सुलाने का तो बहाना है, जयोम को बस गोदी में आना है
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अगस्त २९, २०१३
जयोम का नया फेवरेट गाना, "और दुनिया कहती हैप्पी बड्डे टू यू". मंत्रमुग्ध होकर गाने में बाजे, खिलौने, परेड करते बच्चों को देखता है. जब गाना लगवाना हो तो कहता है - "मम्मा?" मैं कहती हूं, "हां बेटा", तो कहता है - "हप्पा दे दे" थोड़ी देर बाद (कभी कभी) कहता है "टू टू”
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सितंबर ७, २०१३
जयोम की नौटंकी. जैसे ही गलती करने के बाद डाँट पड़ने वाली होती है, पटाने के लिए हमारे जयोम की नौटंकी शुरू हो जाती है. 'हगी' कहते हुए, अपनी 'मोस्ट चार्मिंग' मुस्कान से लेस, डाँटने वाले को गले लगा लेते हैं जनाब. उससे भी नहीं माने, तो 'पारी-पारी' कहते हुए, गाल सहला देते हैं, किसी कर देते हैं कोई नाराज़ रहे तो कैसे रहे... इस छुटकू से नटखट नंद गोपाल को डांटना भी चुनौती है
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सितंबर १४, २०१३
कल हमारे नटखट जयोम गोपाल की सखियां घर आयी थीं. सीड़ीयों पर से ऐसा खुश होते हुए आया जयोम, "सब! सब!" यानि सब आए हैं. सबसे छोटी थी, चार साल की देवना, जयोम उसकी सब बात मानता है. नए खिलौने देखकर वो कूद रही थी, तो जयोम भी जंप करने की कोशिश कर रहा था. खूब खेले, कभी अपने में मस्त, कभी साथ साथ. अच्छी रौनक हो गयी हमारे घर
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सितंबर २७, २०१३
जयोम की किलकारियों की जगह इन अनोखी पुकारों ने ले ली है: (आखिरी पंक्ति सबसे मज़ेदार है )
नॉर्मल, ज़्यादातर, पहली पुकार:
मम्मा, पापा, दीदी
अगर न सुनें तो:
मम्मीमम्मा, पापीपापा, पीपापा
पुकारने के लिए नहीं, बस ऐसे ही लगातार कुछ बोलने के लिए:
ओ दीदी ओ दीदी, दीदीमम्मा, दीदीपापा,
(सबसे मज़ेदार) ओ दी मम्मी, ओ दी पापा
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अक्टूबर ८, २०१३
जयोम के तमाशों से घर में रौनक है बड़ी, आजकल चादर बदलने से भी लग जाती है ख़ुशियों की झड़ी :)
(इस पोस्ट के साथ एक वीडियो था, चादर बिछाते वक्त जहां से चादर फूल जाता है, उसपर कूद कर जयोम कहता है, छपाक)
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अक्टूबर १८, २०१३
जयोम खाना खा कर मुंह साफ करवाने में बड़ा जी चुराता है, नॅपकिन से चेहरा पुंछवाना जनाब को बिल्कुल नहीं सुहाता. कल मैंने जल्दी से साफ किया, और इससे पहले कि वो बिगड़े, मैंने उसे बहलाया, देखो एकदम साफ साफ हो गया है, मम्मा ने बिल्कुल क्लीन कर दिया. तो मुस्कुरा के बोला, थैंकू (थैंक यू).
आजकल जयोम बड़े मैनर्स सीख गया है, सॉरी, थैंक यू, वेलकम, प्लीज़ सब तैयार रहते है.
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अक्टूबर २७, २०१३
नानाजी का जनस
जयोम के नानाजी उसे कई बार लाड़ से जनस बुलाते हैं. इस बार नानाजी दशहरे पर दिल्ली आए, तो उनके जनस की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जैसे ही नानाजी बैठे, "उथो, उथो, जल्दी उथो" बाॅल से खेलना होता था न. नानाजी को खूब हंसी आई. इतनी देर तक बस जयोम के नानाजी ही खिला सकते हैं उसको
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नवंबर ४, २०१३
जयोम पटाखों की आवाज़ से बड़ा घबराया. धनतेरस तक हालांकि थोड़ा आदि हो गया, वरना पहले तो रुआंसा हो रहा था. बहुत समझाया, "बेटा, दिवाली है न, तो सब पटाखे फोड़ते हैं. बहुत दूर है, बाहर हैं..." तो अब आलम ये है, कि जैसे ही बहुत तेज़ आवाज़ आती है, तो दौड़ के आता है, लिपट जाता है, और कहता है, "दिवाली आई" कल रोशनी दिखाई, पटाखे दिखाए, तो जाकर थोड़ी अच्छी लगी दिवाली. दिवाली और हैप्पी - अलग अलग तो सही बोलता है, पर साथ में बोलने हो तो - हैप्पाली !!
इस बार सभी को हमारी ओर से - हैप्पाली!
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नवंबर १४, २०१३
जयोम को सवाल जवाब बड़े पसंद हैं. पूछो, "आपका नाम क्या है?" तो जवाब होता है, "दनुष". (यानि जनुष)
"आपकी मम्मा का नाम क्या है?" या "आप किसके बेटे हो?" ---- "अनूषा" (मेरा नाम एकदम साफ बोलता है :D)
"आपकी नानी का नाम क्या है?" --- "अनुना" (यानि अरुणा)
"आपके पापा का नाम क्या है?" ---- (अच्छा खासा "अनुध कोहली" बोलने लगा था, फिर जाने क्या हुआ... अब कहता है) "पापा कोहली”
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नवंबर १९, २०१३
जयोम की समझ से.
जयोम से अक्सर सब पूछते हैं, "तेको पानी पीना है?" तो कल जब जयोम को पानी मांगना था, वो भी बोला, "तेको पानी.. तेको पानी" यानि पानी दे दो
जब जयोम कोई शरारत करे - जैसे कहीं का वायर खींच दिया, तो कभी फिल्टर का नल खोल कर पानी ढोल दिया, तो नाराज़ होकर मैं कहती हूँ, "ये क्या किया?" अब जब भी कोई ऐसा कुछ करे जो जयोम को पसंद नहीं आता, तो जयोम भी कहता है, "ये क्या किया." सर पे पानी डाले तो सुमन दीदी से रोते रोते कहता है, "दीदी, ये क्या किया, ये क्या किया". कल शाम को खेल छोड़कर ऊपर आने का मन नहीं था, पर अंधेरा हो गया, और दीदी ऊपर ले अाई, तो भी, "दीदी, ये क्या किया”
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नवंबर २७, २०१३
कुछ बातें खुद ही से सीख लेता है. कभी कभी हैरानी होती है, और हंसी तो हमेशा ही आती है.
जैसे,
* दो-तीन दिनों से, अगर कोई भी रुआंसा या उदास दिखे (उसे शरारत से रोकने के लिए कभी कभी ये नाटक भी करना पड़ता है) तो भागता हुआ आता है, कहता है, काउआ काउआ?? (यानि, क्या हुआ?) सोचा तो समझी, उसे चोट लगती है, तो मैं भी ऐसे ही भागती और यही पूछती हुई आती हूं
* आजकल बात बेबात, कोने में हमारी तरफ पीठ कर के खड़ा हो जाता है, और कहता है, "गुछा" मतलब "मैं गुस्सा हूं"
* कई लोगों को, जैसे सामान रखने आए रिक्शावाले को, मैं धन्यवाद कहती हूं. तो जयोम भी आजकल कई बार थैंकयू की जगह हाथ पेट पर रख कर हल्के से झुककर कहता है - "धनवाद".
* कल एक टकराने पर चमकने वाली बॉल से खेल रहा था, जो कुछ देर में खुद चमकना बंद कर देती है. उसे हाथ में लेकर बोला, "बंद हो जा".
* जो चीज़ या तस्वीर अच्छी लगती है, तो उसे चूम कर कहता है, "पप्पी दे दिया”
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दिसंबर २७, २०१३
आजकल जयोम खाना बनाना सीख रहा है. तड़का लगाती हूं, तो मेरी गोदी में चढ़कर, कढ़ाई में जीरा डालने की ज़िद्द करता है. खेलते समय भी झूठमूठ का खानसामा बन जाता है. बोलता है, "थोड़ा सा जीरा डाला! थोड़ा सा हल्दी डाला! कुकर बंद कर दिया! सीटी आ गी!" (आ गई जी खिचड़ी में सीटी) नाक पर एक उंगली रख के सीटी की आवाज़ निकालता है, फिर नकली कुकर खोलकर, खिचड़ी प्यार से लाकर खिलाता है. हम पूछते हैं, कैसी बनी? तो कहता है, "भोत!" यानि बहुत अच्छी
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